Rifle Club Review: आशिक अबू की नई फिल्म राइफल क्लब सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. यह एक एक्शन थ्रिलर फिल्म है जिसमें एक ऐतिहासिक राइफल क्लब के सदस्य एक खतरनाक अपराधी और उसके गिरोह से अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष करते हैं. फिल्म में अनुराग कश्यप, दिलीश पोथन, विजयराघवन और वाणी विश्वनाथ जैसे कलाकार मुख्य भूमिकाओं में हैं. इस फिल्म के बारे में और जानने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें.
Rifle Club Review की कहानी:
राइफल क्लब की कहानी एक जोड़े के इर्द-गिर्द घूमती है जो गलती से एक अपराधी के बेटे की हत्या कर देते हैं. अपनी जान बचाने के लिए वे केरल के वायनाड की पहाड़ियों में स्थित एक पुराने राइफल क्लब में शरण लेते हैं. उसी शाम एक फिल्मी सितारा भी अपनी अगली फिल्म के लिए शिकार के बारे में जानकारी लेने क्लब पहुंचता है. अपने बेटे की मौत का बदला लेने के लिए अपराधी दयानंद बारे अपने गुर्गों के साथ क्लब पर हमला करता है. अब क्लब के सदस्यों को अपनी शूटिंग स्किल्स का इस्तेमाल करके खुद को और उस जोड़े को बचाना है.
राइफल क्लब का दमदार एक्शन:
फिल्म की सबसे बड़ी खूबी इसका शानदार एक्शन है. आशिक अबू ने बेहतरीन एक्शन सीक्वेंस फिल्माए हैं जो दर्शकों को अपनी सीट से चिपके रहने पर मजबूर कर देते हैं. फिल्म का क्लाइमेक्स खासतौर पर बहुत ही रोमांचक है जहां क्लब के सदस्य अपनी शूटिंग स्किल्स का इस्तेमाल करके दुश्मनों से लोहा लेते हैं. फिल्म के एक्शन सीन्स में CGI का इस्तेमाल कम किया गया है जो इन्हें और भी यथार्थवादी बनाता है.
राइफल क्लब के किरदार:
फिल्म में सभी कलाकारों ने बेहतरीन अभिनय किया है. अनुराग कश्यप विलेन के रोल में बहुत ही प्रभावशाली हैं. उनका किरदार एकदम नया और अलग है. दिलीश पोथन क्लब के सेक्रेटरी के रोल में दमदार हैं. वाणी विश्वनाथ और विजयराघवन जैसे अनुभवी कलाकारों ने भी अपने किरदारों के साथ पूरा न्याय किया है. नए कलाकारों ने भी अच्छा काम किया है.
राइफल क्लब का संगीत और सिनेमैटोग्राफी:
रेक्स विजयन का संगीत फिल्म के मूड को बखूबी पकड़ता है. बैकग्राउंड स्कोर एक्शन सीन्स को और भी रोमांचक बनाता है. आशिक अबू ने खुद सिनेमैटोग्राफी की है और उन्होंने वायनाड की खूबसूरत लोकेशन्स को बेहतरीन तरीके से कैप्चर किया है. फिल्म का पीरियड लुक भी बहुत अच्छा है.
राइफल क्लब – कुछ कमियां:
हालांकि फिल्म काफी अच्छी है लेकिन इसमें कुछ कमियां भी हैं. कहानी कुछ जगहों पर धीमी हो जाती है खासकर पहले हाफ में. कुछ दर्शकों को लग सकता है कि फिल्म की लंबाई थोड़ी ज्यादा है. इसके अलावा कुछ किरदारों को और विकसित किया जा सकता था.