Gorakhpur-Siligudi Expressway: उत्तर प्रदेश में सड़क और परिवहन के क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है. इसी कड़ी में एक और बड़ा प्रोजेक्ट, गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे, राज्य के तीन प्रमुख जिलों को जोड़ते हुए बनाया जा रहा है. यह एक्सप्रेसवे न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि बिहार और पश्चिम बंगाल के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा. इस परियोजना का उद्देश्य यात्रा को सुगम बनाना और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देना है. आइए जानते हैं इस एक्सप्रेसवे की खासियत और इसके निर्माण से होने वाले फायदे.
Gorakhpur-Siligudi Expressway का रूट
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई लगभग 519.6 किलोमीटर होगी. यह गोरखपुर जिले से शुरू होकर देवरिया और कुशीनगर जैसे प्रमुख जिलों से गुजरते हुए बिहार और पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी तक पहुंचेगा. यह चार लेन वाला ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे होगा, जिसे भविष्य में छह लेन तक विस्तारित किया जा सकेगा.इस परियोजना का निर्माण भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा किया जा रहा है. यह एक्सप्रेसवे भारतमाला परियोजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य देशभर में आधुनिक सड़क नेटवर्क तैयार करना है.
32,000 करोड़ रुपए की लागत
इस एक्सप्रेसवे को बनाने में लगभग 32,000 करोड़ रुपए की लागत आएगी. इसमें अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाएगा ताकि यह लंबे समय तक टिकाऊ और सुरक्षित रहे. इसके निर्माण कार्य को दिसंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
इन जिलों को होगा सीधा फायदा
- गोरखपुर: गोरखपुर जिले को इस प्रोजेक्ट से सबसे ज्यादा लाभ मिलेगा क्योंकि यह परियोजना यहीं से शुरू होगी. इससे स्थानीय व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.
- देवरिया: देवरिया जिले के किसानों और व्यापारियों को अपने उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने में आसानी होगी.
- कुशीनगर: कुशीनगर, जो कि एक प्रमुख बौद्ध तीर्थस्थल है, इस एक्सप्रेसवे के माध्यम से वैश्विक पर्यटन केंद्र के रूप में उभरेगा.
यात्रा समय में कमी
इस एक्सप्रेसवे के बनने से गोरखपुर से सिलीगुड़ी तक की यात्रा का समय काफी घट जाएगा. वर्तमान में जहां इस दूरी को तय करने में लगभग 12-14 घंटे लगते हैं, वहीं इस एक्सप्रेसवे के जरिए यह सफर केवल 6-7 घंटे में पूरा किया जा सकेगा.