Asharodi- Mohkampur Elevated Corridor: उत्तराखंड सरकार ने देहरादून में यातायात की समस्या को हल करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने आशारोड़ी से मोहकमपुर तक 14 किलोमीटर लंबे एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण का निर्णय लिया है. यह प्रोजेक्ट शहर के यातायात दबाव को कम करने में मील का पत्थर साबित होगा.
पहले इस हाईवे पर लोक निर्माण विभाग के एनएच डिविजन को रिस्पना पुल से मोहकमपुर तक करीब 4 किलोमीटर का एलिवेटेड रोड बनाना था. लेकिन अब इस परियोजना को नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) को सौंप दिया गया है. आइए जानते हैं इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के बारे में विस्तार से.
Asharodi- Mohkampur Elevated Corridor का रूट और लंबाई:
इस एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण आशारोड़ी से शुरू होकर मोहकमपुर तक किया जाएगा. यह कॉरिडोर कुल 14 किलोमीटर लंबा होगा. इस रूट में आईएसबीटी, कारगी चौराहा, पुरानी चौकी, दून विश्वविद्यालय और अजबपुर फ्लाईओवर जैसे महत्वपूर्ण स्थान शामिल होंगे. इस प्रोजेक्ट से शहर के भीतर यातायात का दबाव काफी कम हो जाएगा.
प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी एनएचएआई को:
पहले इस हाईवे पर लोक निर्माण विभाग के एनएच डिविजन को रिस्पना पुल से मोहकमपुर तक करीब 4 किलोमीटर का एलिवेटेड रोड बनाना था. लेकिन अब सरकार ने इस पूरे प्रोजेक्ट को एनएचएआई को सौंपने का निर्णय लिया है. इससे प्रोजेक्ट के निर्माण में तेजी आएगी और गुणवत्ता भी बेहतर होगी.
प्रोजेक्ट के फायदे:
इस एलिवेटेड कॉरिडोर के बनने से देहरादून में यातायात की समस्या काफी हद तक हल हो जाएगी. शहर के भीतर वाहनों का दबाव कम होगा और लोगों को जाम से राहत मिलेगी. इसके अलावा, यह प्रोजेक्ट शहर की बुनियादी संरचना को भी मजबूत करेगा. इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और शहर का विकास तेजी से होगा.
प्रोजेक्ट की लागत और समय सीमा:
इस एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण पर करीब 3500 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. एनएचएआई ने इस प्रोजेक्ट को लेकर अपनी तैयारी पूरी कर ली है. जैसे ही केंद्रीय मंत्रालय से अनुमति मिलेगी, निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा.
स्थानीय लोगों को होगा फायदा:
इस एलिवेटेड कॉरिडोर के बनने से स्थानीय लोगों को सबसे ज्यादा फायदा होगा. शहर के भीतर यातायात का दबाव कम होने से प्रदूषण भी कम होगा. इससे लोगों के स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. साथ ही, यात्रा का समय कम होने से लोगों की उत्पादकता भी बढ़ेगी.